Malaria – कारण, लक्षण, निदान, उपचार, मलेरिया कितने प्रकार का होता हैं?

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मलेरिया / Malaria बुखार मच्छरों से होने वाला एक प्रकार का संक्रामक रोग है। जो मादा मच्छर के काटने पर होता है फीमेल एनोफिलीज मच्छर भी कहा जाता है  जिसको मेडिकल के भाषा में प्लाज्मोडियम नाम से जाना जाता है. यह जीवाणु मानव को बीमार बनाने के लिए मानव के रक्त कोशिकाओं को संक्रमित करके व्यक्ति को बीमार बना देती है.
जिन लोगों को Malaria होता है वे आमतौर पर तेज बुखार और कंपकंपी वाली ठंड से बहुत बीमार महसूस करते हैं। यह समय पर इलाज नहीं करवाने पर जान पर आफत बन सकती है

Malaria kitne prak

मलेरिया रोग क्या है:

मलेरिया एक जानलेवा बीमारी है जो परजीवियों के कारण होती है जो संक्रमित मादा एनोफिलीज मच्छरों के काटने से लोगों में फैलती हैं। समशीतोष्ण जलवायु में रोग असामान्य है उष्णकटिबंधीय और उपोष्णकटिबंधीय देशों में मलेरिया रोग आम है।

मलेरिया के लक्षण (Malaria Symptoms):

मलेरिया प्लास्मोडियम परजीवी के कारण होने वाली एक तीव्र ज्वर की बीमारी है (मलेरिया के लक्षण हिंदी)

  • बुखार
  • तेज ठंड लगना
  • बेचैनी की सामान्य भावना
  • सिरदर्द
  • मतली और उल्टी
  • दस्त
  • पेट में दर्द
  • मांसपेशियों या जोड़ों का दर्द
  • थकान
  • तेजी से साँस लेने
  • तीव्र हृदय गति
  • खांसी

बहुत से लोग में मलेरिया होने पर “सिर चकराना और सिर घूमना” आम बात है। तथा आमतौर पर कंपकंपी और ठंड लगने के साथ शुरू होता है, इसके बाद तेज बुखार होता है, इसके बाद पसीना आता है और सामान्य तापमान पर वापस आ जाता है।
मलेरिया के लक्षण को दिखना 7 से 15 दिनों के बीच होता है।

अधिक गंभीर MALARIA बीमारी का खतरा:

गंभीर बीमारी के बढ़ते जोखिम वाले लोगों में शामिल हैं:
छोटे बच्चे और शिशु
पुराने वयस्कों
मलेरिया रहित क्षेत्रों से आने वाले यात्री
गर्भवती महिलाएं और उनके अजन्मे बच्चे

मच्छर संचरण चक्र (Mosquito transmission cycle)

मच्छर संचरण चक्र के लिए कुछ कारण जिनको आप पढ़ कर समझ सकते है

असंक्रमित मच्छर:-

मलेरिया से सक्रमित व्यक्ति को असंक्रमित मच्छर काटता है तो मच्छर भी सक्रमित हो जाता है और सक्रमित मच्छर जब असक्रमित व्यक्ति को काटता है तो मलेरिया है। परजीवी का संचरण। यदि भविष्य में यह मच्छर आपको काटता है, तो यह मलेरिया परजीवी आप तक पहुंचा सकता है।

  • मां से लेकर अजन्मे बच्चे तक
  • रक्त के आधान प्रदान से
  • दवाओं को इंजेक्ट करने के लिए इस्तेमाल की जाने वाली सुइयों के माध्यम से आप सक्रमित हो सकते है

मलेरिया के उपचार

मलेरिया का दो प्रकार से उपचार सम्भव है जिसमे कमजोर कम तकलीफदय लक्षण होने पर आप घरेलु उपाय कर सकते है।
मलेरिया में सबसे पहले आपको डॉक्टर की परामर्श आवशयक है। बिना डॉक्टर के कोई भी दवाई लेने पर आपके साथ गंभीर परिणाम हो सकते है

मलेरिया के घरेलु उपचार

  • गिलोय बेल मलेरिया और डेंगू के इलाज के लिए अमृत मानी जाती है। गिलोय, तुलसी,काली मिर्च और पपीते के पत्तों को उबालकर या रात में मिट्टी के बर्तन में भिगोकर सुबह छानकर पीएं। बुखार में राहत मिलेगी। गिलोय की गोली या काढ़ा बनाकर दिन में 3-4 बार सेवन करने से आराम मिलता है
  • एक गिलास पानी में एक चम्मच दालचीनी, एक चम्मच शहद और आधा चम्मच काली मिर्च पावडर मिलाकर अच्छी तरह से उबालें और फिर ठंडा होने पर इसे पिएं बुखार और मलेरिया के लक्षणों में थोड़ा लाभ होगा।
  • आप निम्बू की चाय भी पीने से आपको बुखार और जुकाम में लाभ मिलेगा।
  • आप मुनका या किशमिश के बीज निकालकर उसमे तुलसी के पते पीसी हुई काली मिर्च के साथ गर्म करके खाकर सोने पर बुखार और जुखाम ठीक होते है।
  • हल्दी डालकर दूध का सेवन करने पर इम्युनिटी पावर अच्छी होती है
  • एक गिलास पानी में 10ग्राम अदरक और मुनक्का डालकर अच्छी तरह से तब तक उबालकर ठंडा होने पर पीने से भी लाभ होता है।
  • मलेरिया में विटामिन सी और बहुत सारे पौषक तत्वों से भरपूर अमरूद का सेवन करना भी फायदेमंद होता है।
  • मलेरिया में तरल पदार्थों के अलावा खिचड़ी – दलिया, साबुदाना जैसे हल्के और पौषक तत्वों से भरपूर आहार दें।

मलेरिया इंजेक्शन नाम:

लैरियैगो 40mg इन्जेक्शन एक एंटीपैरासिटिक दवा है, जिसे मलेरिया की रोकथाम और इलाज के लिए इस्तेमाल किया जाता है. लेकिन इसका यूज़ डॉक्टर के देख रेख में होना आवश्यक है। 
Note: इस किसी भी दवा और इंजेक्शन लेने से पहले डॉक्टर के सलाह जरुरी है।

मलेरिया कितने दिनों में ठीक होता है:

Malaria में ठीक होने पर 5-10 दिन लग जाते है जिसमे कुछ लक्षणों ख़त्म होने के लिए कई बार 1 से 2 महीने भी लग जाते है यदि रोगी को जल्दी और अच्छा इलाज मिलने पर रोग जल्दी ख़त्म हो जाता है 

ब्रेन मलेरिया क्या है?

ऐसा माना जाता है कि यह मादा एनोफिलीज मच्छर के काटने से फैलता है। मच्छरों द्वारा संचरित प्लास्मोडियम नामक एक परजीवी रक्त के माध्यम से शरीर के माध्यम से इस रोग का कारण बनता है। प्लाज्मोडियम के चार रूप होते हैं।

  • 1. पी बिवेक्स
  • 2. पी ओवेन
  • 3. पी मालेरी
  • 4. पी. फाल्सीपेरम

आमतौर पर पी बिवैक्स और पी फाल्सीपेरम में पाए जाने वाले सामान्य प्रकारों को आसानी से पहचाना जा सकता है और उपचार आसानी से उपलब्ध है।
जब ऐसा होता है, तो मस्तिष्क के साथ-साथ अन्य रक्त वाहिकाओं में रक्त का निर्माण होता है। इससे मौत हो सकती है। इसलिए, फाल्सीपेरम में गुर्दे और फेफड़े जैसे अंग भी प्रभावित होते हैं,
और अंग से जुड़े लक्षण पैदा कर सकते हैं। इस स्थिति को ब्रेन मलेरिया के रूप में जाना जाता है जिसे एमटी मलेरिया भी कहा जाता है। इस वजह से, रोगियों को दौरे का अनुभव होता है और वे बेहोश भी हो सकते हैं। इसके अलावा, मलेरिया के विशिष्ट लक्षणों में सिरदर्द, शरीर में दर्द सिरदर्द, उल्टी आदि शामिल हैं। इसके अलावा, जोड़ी भी होती है।

मलेरिया कितने प्रकार के होते हैं

Malaria कई प्रकार का होता है जिसके सभी के अलग – अलग प्रकार के लक्षण होते है और उनको ठीक होने में भी अलग समय लगता है। मलेरिया निम्न प्रकार का होता है

1. प्लास्मोडियम फैल्सीपैरम (P. Falciparum):

प्लास्मोडियम फैल्सीपैरम (P. Falciparum) प्रकार के Malaria होने पर व्यक्ति को  तेज ठंड लगती है और सिर में दर्द के साथ उल्टियां होती हैं।

2. सोडियम विवैक्स (P. Vivax):

सोडियम विवैक्स (P. Vivax) इस प्रकार के मलेरिया में विवैक्स परजीवी दिन में सक्रिय रहता है। इसमें सिर, कमर, पैर और हाथों में दर्द होता है। भूख नहीं लगती और कंपकपी के साथ तेज़ बुखार होता है।

3. प्लाज्मोडियम ओवेल मलेरिया (P. Ovale):

प्लाज्मोडियम ओवेल मलेरिया (P. Ovale) के प्रकार का मलेरिया बिनाइन टर्शियन मलेरिया उत्पन्न करता है।

4. प्लास्मोडियम मलेरिये (P. malariae):-

प्लास्मोडियम Malaria (P. malariae) प्रकार के मलेरिया में एक तरह का प्रोटोजोआ है, जो बेनाइन मलेरिया के लिए जिम्मेदार है। हालांकि ये बाकी की तरह खतरनाक नहीं होता है।
इसमें मरीज को हर चौथे दिन बुखार होता है। इससे पीड़ित शख्स के शरीर में प्रोटीन की कमी हो जाती है और सूजन भी होती है।

मलेरिया (MALARIA) से बचाव व रो‍कथाम के उपाय:

  • घरो के अन्‍दर डी. डी .टी. जैसी कीटनाशकों का छिडकाव कराया जावे, जिससे मच्‍छरो का नष्‍ट किया जा सके।
  • घरो में व आसपास गड्डो, नालियो, बेकार पडे खाली डिब्‍बो, पानी की टंकियो, गमलो, टायर टयूब मे पानी इकट़्ठा न होने दें।
  • चूकि आमतौर पर यह मच्‍छर साफ पानी मे जल्‍दी पनपता है। इसलिए सप्‍ताह मे एक बार पानी से भरी टंकियो मटके, कूलर आदि खाली करके सुखा दे।
  • टांके आदि पेयजल स्‍त्रोतो मे स्‍वास्‍थ्‍य कार्यकर्ता से टेमोफोस नामक दवाई समय समय पर डलवाते रहे।
  • पानी के स्‍थायी स्‍त्रोतो मे मछलिया छुडवाने हेतु स्‍वा. कार्यकर्ता से सम्‍पर्क करे।
  • जहां पानी एकत्रित होने से रोका नही जा सके वहां पानी पर मिटटी का तेल या जला हुआ तेल (मोबिल ऑयल ) छिडकें।
  • खिडकियो, दरवाजो मे जालियां लगवा लें। मच्‍छर दानी इस्‍तेमाल करें या मच्‍छर निवारक क्रीम, सरसों का तेल आदि इस्‍तेमाल करे।

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