माँ दुर्गा देव्यापराध क्षमा प्रार्थना स्तोत्रं | Maa Durga Kshama Prarthna Stotram

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Maa Durga Kshama Stotram – दुर्गा या आदिशक्ति हिन्दुओं की प्रमुख देवी मानी जाती हैं जिन्हें प्रकृति देवी, माता रानी, जग्दम्बा, सनातनी देवी आदि नामों से भी जाना जाता हैं। दुर्गा को आदि शक्ति, प्रधान प्रकृति, गुणवती योगमाया, बुद्धितत्व की जननी तथा विकार रहित बताया गया है। वह अंधकार व अज्ञानता रुपी राक्षसों से रक्षा करने वाली तथा कल्याणकारी हैं। उनके बारे में मान्यता है कि वे शान्ति, समृद्धि तथा धर्म पर आघात करने वाली राक्षसी शक्तियों का विनाश करतीं हैं।

Maa Durga Kshama Prarthna Stotram 1
Maa Durga Kshama Prarthna Stotram

|| Maa Durga Kshama Prarthna Stotram ||
माँ दुर्गा देव्यापराध क्षमा प्रार्थना स्तोत्रं!

माता दुर्गा की पूजा समाप्ति के उपरांत यह स्तुति जरूर करें, तथा पूजा में हुई किसी भी प्रकार की त्रुटि या भूल चूक के अपराध से शमा पाएँ।

श्री देव्यापराध क्षमापन स्तोत्रं ॥
न मन्त्रं नो यन्त्रं तदपि च न जाने स्तुतिमहो
न चाह्वानं ध्यानं तदपि च न जाने स्तुतिकथा: ।
न जाने मुद्रास्ते तदपि च न जाने विलपनं

परं जाने मातस्त्वदनुसरणं क्लेशहरणम् ॥ १ ॥
विधेरज्ञानेन द्रविणविरहेणालसतया
विधेयाशक्यत्वात्तव चरणयोर्या च्युतिरभूत् ।
तदेतत्क्षन्तव्यं जननि सकलोद्धारिणि शिवे

कुपुत्रो जायेत क्वचिदपि कुमाता न भवति ॥ २ ॥
पृथिव्यां पुत्रास्ते जननि बहव: सन्ति सरला:
परं तेषां मध्ये विरलतरलोSहं तव सुत: ।
मदीयोSयं त्याग: समुचितमिदं नो तव शिवे

कुपुत्रो जायेत क्वचिदपि कुमाता न भवति ॥ ३ ॥
जगन्मातर्मातस्तव चरणसेवा न रचिता
न वा दत्तं देवि द्रविणमपि भूयस्तव मया ।
तथापि त्वं स्नेहं मयि निरुपमं यत्प्रकुरुषे

कुपुत्रो जायेत क्वचिदपि कुमाता न भवति ॥ ४ ॥
परित्यक्ता देवा विविधविधिसेवाकुलतया
मया पंचाशीतेरधिकमपनीते तु वयसि ।
इदानीं चेन्मातस्तव यदि कृपा नापि भविता

निरालम्बो लम्बोदरजननि कं यामि शरणम् ॥ ५ ॥
श्वपाको जल्पाको भवति मधुपाकोपमगिरा
निरातंको रंको विहरति चिरं कोटिकनकै: ।
तवापर्णे कर्णे विशति मनुवर्णे फलमिदं

जन: को जानीते जननि जपनीयं जपविधौ ॥ ६ ॥
चिताभस्मालेपो गरलमशनं दिक्पटधरो
जटाधारी कण्ठे भुजगपतिहारी पशुपति: ।
कपाली भूतेशो भजति जगदीशैकपदवीं

भवानि त्वत्पाणिग्रहणपरिपाटीफलमिदम् ॥ ७ ॥
न मोक्षस्याकाड़्क्षा भवविभववाण्छापि च न मे
न विज्ञानापेक्षा शशिमुखि सुखेच्छापि न पुन: ।
अतस्त्वां संयाचे जननि जननं यातु मम वै

मृडानी रुद्राणी शिव शिव भवानीति जपत: ॥ ८ ॥
नाराधितासि विधिना विविधोपचारै:
किं रुक्षचिन्तनपरैर्न कृतं वचोभि: ।
श्यामे त्वमेव यदि किंचन मय्यनाथे

धत्से कृपामुचितमम्ब परं तवैव ॥ ९ ॥
आपत्सु मग्न: स्मरणं त्वदीयं
करोमि दुर्गे करुणार्णवेशि ।
नैतच्छठत्वं मम भावयेथा:

क्षुधातृषार्ता जननीं स्मरन्ति ॥ १० ॥
जगदम्ब विचित्रमत्र किं
परिपूर्णा करुणास्ति चेन्मयि ।
अपराधपरम्परावृतं

न हि माता समुपेक्षते सुतम् ॥ ११ ॥
मत्सम: पातकी नास्ति
पापघ्नी त्वत्समा न हि ।
एवं ज्ञात्वा महादेवि
यथा योग्यं तथा कुरु ॥ १२ ॥
इति श्रीमच्छंकराचार्यकृतं देव्यपराधक्षमापनस्तोत्रम्।

Maa Durga Kshama Prarthna Stotram

मां दुर्गा का शक्तिशाली मंत्र कौन सा है?

‘सर्वमङ्गलमाङ्गल्ये शिवे सर्वार्थसाधिके, शरण्ये त्र्यम्बके गौरि नारायणि नमोऽस्तु ते’.

माता का प्रिय भोग क्या है?

माता को नारियल का भोग सर्वाधिक प्रिय है। माता को यह भोग अर्पित करने से मनोवांछित फल की प्राप्ति होती है।

मां दुर्गा को क्या पसंद है?

हिंदू शास्त्रों में कहा गया है कि मां दुर्गा के इस स्वरूप को गाय के घी का भोग लगाना चाहिए। ऐसा करने से रोगों और हर संकट से मुक्ति मिलती है। नवरात्रि के दूसरे दिन मां ब्रह्मचारिणी की पूजा की जाती है। इस दिन मां को गुड़ वाली शक्कर और पंचामृत का भोग लगाया जाता है।

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