Gayatri Mantra:- गायत्री मंत्र का अर्थ, महत्व और जाप का सटीक तरीका

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Gayatri Mantra एक ऐसा मंत्र है, जिसे पढ़ने या सुनने मात्र से ही हमारे मन को शांति का अनुभव होने लगता है, साथ ही हमे पॉजिटिव शक्ति का अनुभव भी होता है। साथ ही हमारे तन और मन को भी अच्छा अनुभव मिलता है।

गायत्री मंत्र का नियमित उच्चारण करने से मन की एकाग्रता बढ़ती है, इसलिए इसे सभी मंत्रों “महामंत्र” कहा जाता है। गायत्री मंत्र को सबसे प्राचीन वेद ऋग्वेद से लिया गया है और गायत्री मंत्र का प्रयोग सभी भजनों में किया जाता है। गायत्री मंत्र को वेद ग्रन्थ की माता के नाम से भी जाना जाता है यह हिन्दू धर्म का सबसे उतम मंत्र है।

Gayatri Mantra वह है जो चेतना की तीन अवस्थाओं को आनंदपूर्वक, चंचलता से, सहजता से और हल्के ढंग से सरकती है, जैसे कि यह एक गीत हो। जब हम कुछ गाते हैं, तो इसका मतलब है कि यह हमारे लिए बोझ नहीं है। ‘गायंती त्रायते इति गायत्री’। गायत्री मंत्र चेतना की सभी तीन अवस्थाओं को प्रभावित करता है, जागृत  (जागना), सुषुप्त (गहरी नींद), स्वप्न (सपना) और अस्तित्व की तीन परतें आध्यात्मिक, अधिदैविक और आदिभौतिक । त्रय भी तपत्रय या बीमारियों ( तप) को संदर्भित करता है जो शरीर, मन और आत्मा पर प्रतिकूल प्रभाव डालते हैं शारीरिक रोगों से शरीर, मन में नकारात्मकता और आत्मा में बेचैनी। गायत्री मंत्र (ऊर्जा या कंपन का क्षेत्र) व्यक्ति को तपत्रय के पार जाने और अप्रभावित रहने में सक्षम बनाती है ।

गायत्री मंत्र में पत्र

गायत्री मंत्र में रीढ़ की 24 कशेरुकाओं के अनुरूप 24 अक्षर होते हैं । रीढ़ की हड्डी हमारे शरीर को सहारा और स्थिरता प्रदान करती है। इसी प्रकार गायत्री मंत्र हमारी बुद्धि में स्थिरता लाता है।

गायत्री मंत्र क्या है (Gayatri Mantra Kya Hai)

गायत्री मंत्र हिंदी में:

ॐ भूर्भुवः स्वः तत्सवितुर्वरेण्यम्,
भर्गो देवस्य धीमहि धियो यो नः प्रचोदयात्!

गायत्री शक्ति क्या है?

गायत्री शक्ति ऊर्जा क्षेत्र है जो तीन ऊर्जाओं की परिणति है: तेजस ( चमक), यश (जीत) और वर्चस (प्रतिभा)। जब आप गायत्री मंत्र का जाप करते हैं, तो ये ऊर्जाएं आप में प्रकट होती हैं और आपको आशीर्वाद देने की शक्ति भी प्राप्त होती है। यही ऊर्जा आशीर्वाद प्राप्त करने वाले को भी प्रेषित की जाती है।

Om Bhurbhuvah Swah
Tatsaviturvarenyam
Bhargo Devasya Dhimahi
Dhiyo Yo Nah Prachodayat ॥

Om! – Brahma or Almighty God
Bhuh – Embodiment of Vital Spiritual Energy (Pran)
Bhuvah – Destroyer of Sufferings
Swah – Embodiment of Happiness
Tat – That
Savituh – Bright, Luminous like the Sun
Varenyam – Best, Most Exalted
Bhargo – Destroyer of Sins
Devasya – Divine
Dhimahi – May Imbibe
Dhiyo – Intellect
Yo – Who
Nah – Our
Prachodayat – May Inspire

Gayatri Mantra Meaning in Hindi:-

तेजस्वी भुयासौ – आप दीप्तिमान  रहें

वर्चस्वी भुयासौ – आप प्रतिभाशाली  बनें

यशस्वी भुयासौ – आप विजयी हों

गायत्री मंत्र जप के नियम

गायत्री मंत्र का जाप करते समय इन बातों को जरूर ध्यान में रखना चाहिए:
इस मंत्र को करने के लिए आपको शुद्ध शाकाहारी होना जरूरी है।
प्रातःकाल में स्नान आदि से नित्यकर्म से निवृत्त होकर साफ और धुले कपड़े पहनकर इस मंत्र का जाप करना चाहिए।
जाप का स्थान शांत और एकांत होने के साथ ही पवित्र भी हो।
गायत्री मंत्र का इसका जाप ऊनी और रेशमी आसनों पर बैठकर करना चाहिए किसी जानवर के चमड़े का उपयोग नहीं करना चाहिए
मंत्र का जाप करते समय पालथी मारकर या पद्माशन में बैठकर ही करें।
इस मंत्र का जप बिना आहार के करना चाहिए।
मंत्र के जप के समय जप की गिनती जरूर करनी चाहिए। क्योंकि बिना गिनती के किया गया जाप “आसुर जाप” कहलाता है।
इस मंत्र का जप मन में करना चाहिए, होठ बुल्कुल भी नहीं हिलने चाहिए और मन शांत एकाग्र होना चाहिए।
इस मंत्र का जप करते समय आपको बीच में उठना नहीं होता है।
गायत्री मंत्र का जप प्रतिदिन नियमित समय पर ही करना चाहिए।
मंत्र का जाप करने के बाद त्रुटियों के लिए क्षमा-प्रार्थना जरूर करें।

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