गौरीनन्दन गजानना: मंत्र | Gauri Nandana Gajanana

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Gauri Nandana Gajanana mantra:- हिन्दू समाज में लोग गजानना की पूजा करते है। और सभी लोग बड़े ही धूम धाम से गजानना की पूजा करते है। उनके सामने भोग अर्पित करते है। गणेशजी का बड़ा पेट उदारता और संपूर्ण स्वीकार को दर्शाता है। गणेशजी का ऊपर उठा हुआ हाथ रक्षा का प्रतीक है – अर्थात, ‘घबराओ मत, मैं तुम्हारे साथ हूं’ और उनका झुका हुआ हाथ, जिसमें हथेली बाहर की ओर है,उसका अर्थ है, अनंत दान, और साथ ही आगे झुकने का निमंत्रण देना – यह प्रतीक है कि हम सब एक दिन इसी मिट्टी में मिल जायेंगे। गणेशजी एकदंत हैं, जिसका अर्थ है एकाग्रता।

Gauri Nandana Gajanana

|| Gauri Nandana Gajanana mantra ||

गौरीनन्दन गजानना
गौरीनन्दन गजानना
गिरिजानन्दन निरञ्जना
गिरिजानन्दन निरञ्जना
पार्वतीनन्दन शुभानना
पार्वतीनन्दन शुभानना
शुभानना शुभानना
शुभानना शुभानना
पाहि प्रभो मां पाहि प्रसन्नाम्‌
पाहि प्रभो मां पाहि प्रसन्नाम्‌ ॥

गौरीनन्दन गजानना
गौरीनन्दन गजानना
गिरिजानन्दन निरञ्जना
गिरिजानन्दन निरञ्जना
पार्वतीनन्दन शुभानना
पार्वतीनन्दन शुभानना
शुभानना शुभानना
शुभानना शुभानना
पाहि प्रभो मां पाहि प्रसन्नाम्‌
पाहि प्रभो मां पाहि प्रसन्नाम्‌ ॥

|| Gauri Nandana Gajanana In English ||

Gauri Nandana Gajanana
Gauri Nandana Gajanana
Girija Nandana Niranjanaa
Girija Nandana Niranjanaa
Parvati Nandana Shubhananaa
Parvati Nandana Shubhananaa
Shubhananaa Shubhananaa
Shubhananaa Shubhananaa
Pahi Prabhomaam Pahi Prasanna
Pahi Prabhomaam Pahi Prasanna ॥

Gauri Nandana Gajanana
Gauri Nandana Gajanana
Girija Nandana Niranjanaa
Girija Nandana Niranjanaa
Parvati Nandana Shubhananaa
Parvati Nandana Shubhananaa
Shubhananaa Shubhananaa
Shubhananaa Shubhananaa
Pahi Prabhomaam Pahi Prasanna
Pahi Prabhomaam Pahi Prasanna ॥

Gauri Nandana Gajanana

भगवान गणेश के धड़ पर हाथी का सिर क्यों?

जब गणेशजी ने भगवान शिव का मार्ग रोका, इसका अर्थ हुआ कि अज्ञान, जो कि मस्तिष्क का गुण है, वह ज्ञान को नहीं पहचानता, तब ज्ञान को अज्ञान से जीतना ही चाहिए। इसी बात को दर्शाने के लिए शिवजी ने गणेशजी के सिर को काट दिया था। और

कलयुग में गणेश जी का क्या नाम है?

इस पुराण में भगवान शिव ने पार्वती से कहा है कि कलयुग के अंत में भगवान गणेश चारभुजा से युक्त होकर अवतार लेंगे। इस अवतार में गणेश जी का नाम धूम्रवर्ण एवं शूर्पकर्ण होगा। भगवान के हाथों में खड्ग होगा।

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