बृहस्पति स्तोत्रं – स्कन्दपुराणे | Brihaspati Stotra

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Brihaspati Stotra:- बृहस्पति स्त्रोतं के मन्त्रों का जाप मनुष्य के द्वारा करने पर गुरु ग्रह के बुरे असर कम हो जाते है। बृहस्पति स्तोत्र का पाठ बहुत चमत्कारी है, इस मंत्र को बृहस्पति गृह संतान पक्ष के कारक माने जाते है। और बृहस्पति स्तोत्र का जाप करने से व्यक्ति के सारे दुःख दूर हो जाते है। और घर में सुख शांति रहती है, इसलिए हमे इसका जाप करना चाहिए।

Brihaspati Stotra

|| Brihaspati Stotra ||

॥ विनियोग मन्त्र ॥
ॐ अस्य श्रीबृहस्पति स्तोत्रस्य गृत्समद् ऋषिः, अनुष्टुप छन्दः,
बृहस्पतिर्देवता, बृहस्पति प्रीत्यर्थे जपे विनियोग:
गुरुर्बृहस्पतिर्जीव: सुराचार्यो विदां वरः ।
वागीशो धिषणो दीर्घश्मश्रुः पीताम्बरो युवा ॥1॥
 
सुधादृष्टिर्ग्रहाधीशो ग्रहपीडापहारकः ।
दयाकरः सौम्यमूर्तिः सुरार्च्यः कुड्मलद्युतिः ॥2॥
लोकपूज्यो लोकगुरुः नीतिज्ञो नीतिकारकः ।
तारापतिश्चाङ्गिरसो वेदवेद्यः पितामहः ॥3॥
 
भक्त्या बृहस्पतिं स्मृत्वा नामान्येतानि यः पठेत् ।
अरोगी बलवान् श्रीमान् पुत्रवान् स भवेन्नरः ॥4॥
जीवेद्दर्षशतं मत्यो पापं नश्यति ।
यः पूजयेत् गुरुदिने पीतगन्धाक्षताम्बरैः ॥5॥
 
पुष्पदीपोपहारैश्च पूजयित्वा बृहस्पतिम् ।
ब्रह्मणान् भोजयित्वा च पीडाशान्तिर्भवेत् गुरोः ॥6॥
॥ इति श्री स्कन्दपुराणे बृहस्पतिस्तोत्रं सम्पूर्णम् ॥
Brihaspati Stotra

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