Avtaran Chinh in Hindi | अवतरण चिह्न या उद्धरण चिन्ह की परिभाषा, भेद और उदाहरण

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हमारी मातृभाषा हिंदी है। हिंदी में लिखते समय हम कई तरह के प्रतीकों या चिन्हों का इस्तेमाल करते हैं, जिनमें पूर्ण और आंशिक उद्धरण Chinh, लघु और पूर्ण अवधि और विराम शामिल हैं। आज इस लेख में हम जानेगे Avtaran Chinh किसे कहते है और इसके प्रकार एवं उदाहरण – हम विशेष रूप से सीखेंगे कि अवतरण चिन्ह के प्रयोग एवं अवतरण चिन्ह के उदाहरण के बारे में विस्तार से जानने वाले हैं।

Avtaran Chinh
Avtaran Chinh

Avtaran Chinh चिह्न क्या है?

किसी कथन को ज्यों-का-त्यों लिखने के लिए जिस संकेत चिन्ह का प्रयोग किया जाता है उसे अवतरण चिन्ह कहते हैं। इस चिन्ह को उद्धरण चिन्ह या उपरिविराम चिह्न भी कहा जाता है। जिस कथन को वैसे के वैसे लिखना होता है उसके दोनों तरफ इस चिन्ह को लगाया जाता है।

अवतरण चिन्ह के उदहारण (Avtaran Chinh Ke Udaharan)

“रघुकुल रीति सदा चली आई। प्राण जाय पर वचन न जाई॥”
“पूर्ण स्वराज”– जवाहर लाल नेहरू
“जय जवान जय किसान”– लाल बहादुर शास्त्री
“वेदों की और लौटो”– दयानंद सरस्वती
“तुम मुझे खून दो मैं तुम्हें आज़ादी दूंगा”– सुभाषचंद्र बोस
“जय हिंद”– सुभाषचंद्र बोस
“दिल्ली चलो”– सुभाषचंद्र बोस
“हिंदी हिन्दू हिंदुस्तान”– भारतेंदु हरिश्चंद्र

उद्धरण चिह्न के प्रकार

इकहरा उद्धरण चिन्ह (‘ ‘)
दुहरा उद्धरण चिन्ह (” “)

इकहरा उद्धरण चिन्ह (‘ ‘)

इकहरा अवतरण चिहन ( ‘ ) –इस चिह्न का प्रयोग कवि या लेखक के उपनाम में , पुस्तकों , विशेष व्यक्ति, ग्रन्थ, समाचार पत्रों , पत्रिकाओं के नामों में और सूक्तियों या कहावतों में किया जाता है। अर्थात जब किसी कवि का उपनाम, पुस्तक का नाम ,पत्र- पत्रिका का नाम, विशेष व्यक्ति, लेख या कविता का शीर्षक आदि का उल्लेख हों-
उदाहरण:-
‘ सत्य की विजय देरी में होती है । ‘
‘निराला’ पागल नहीं थे।
‘लक्ष्मण’ एक प्रसिद्ध व्यंग्यकार हैं।
वाल्मीकि ने ‘ रामायण ‘ की रचना की ।
‘कामायनी‘ की कथा संक्षेप में लिखिए।
‘नवभारत टाइम्स’ और ‘दैनिक जागरण’ हिन्दी के प्रसिद्ध राष्ट्रीय पत्र है।

इकहरा अवतरण चिन्ह का प्रयोग (Ikhara Avtaran Chinh)

  1. वाक्य में या किसी अक्षर, शब्द और वाक्यांश को उल्लेखित करने के लिए भी इकहरे अवतरण चिन्ह का प्रयोग करते हैं।
    हिंदी में ‘ॠ’ (दीर्घ ऋ) का प्रयोग नहीं किया जाता।
    उदाहरण:-
    मनुष्य का ‘जागरुक’ होना आवश्यक है।

2. इकहरा अवतरण चिन्ह का प्रयोग किसी कविता का शीर्षक, कवि का उपनाम, व्यक्ति विशेष, पुस्तक का नाम या पत्र-पत्रिका का नाम उल्लेखित करने के लिए किया जाता है।
उदाहरण:-
‘अग्निपथ’ हरिवंश राय बच्चन की प्रसिद्ध कविता है।
‘राम चरित मानस’ के रचयिता तुलसीदास हैं।
‘इण्डियन फिलॉसफी’ के लेखक का नाम ‘डा. एस. राधाकृष्णन’ है।
‘एशियन ड्रामा’ के लेखक का नाम ‘गुन्नार मिरडल’ है।
गोदान’ मुंशी प्रेमचंद द्वारा लिखित उपन्यास है।

दुहरा उद्धरण चिन्ह (” “)

किसी मुहावरे, लोकोक्ति या किसी के द्वारा कहे गए कथन को ज्यों ता त्यों लिखने के लिए दुहरा अवतरण चिन्ह का प्रयोग किया जाता है।

दुहरा अवतरण चिन्ह के उदाहरण (Duhara Avtaran Chinh Ke Udaharan)

उदाहरण:-
“अंग्रेजो भारत छोड़ो”– महात्मा गांधी
“भारत माता की जय”– महात्मा गांधी
“करो या मरो”– महात्मा गांधी
“इनक़लाब जिंदाबाद”– मो. इक़बाल
“विजयी विश्व तिरंगा प्यारा”– श्यामलाल गुप्ता
“आराम हराम है”– जवाहर लाल नेहरू

दुहरा अवतरण चिन्ह का प्रयोग (Duhara Avtaran Chinh)

संज्ञा वाक्य में मुख्य वाक्य से पहले आए हुए वाक्य के दोनों ओर दुहरे अवतरण चिन्ह का प्रयोग किया जाता है।
उदाहरण:-
“स्वादिष्ट खाना कैसे बनता है”, यह बहुत कम लोग जानते हैं
विकास बहुत अच्छा आदमी “यह सब जानते है।”

दुहरा अवतरण चिन्ह के वाक्य (Duhara Avtaran Chinh Ke Vakya)

गांधी जी ने कहा, “सदा सत्य बोलो”
“करे कोई भरे कोई “।
विजय को समझना चाहिए, “एकता में ताकत होती है।”
प्रिया ने राधा की बाते सुनकर कहा “अपने मुँह मिया मिट्ठू”।
प्रेमचन्द्र ने कहा था “साहित्य राजनीति के आगे चलने वाली मशाल है”
सुभाषचंद्र बोस ने कहा था “तुम मुझे खून दो, मै तुम्हे आज़ादी दूंगा।
भगत सिंह ने कहा था, “प्रेमी, पागल और कवि एक चीज़ से बने होते हैं”

उद्धरण चिह्न के कितने रूप हैं?

अवतरण चिन्ह के प्रकार अवतरण चिन्ह के दो प्रकार होते हैं- इकहरा अवतरण चिन्ह और दुहरा अवतरण चिन्ह।


उद्धरण चिह्न अलग-अलग क्यों दिखते हैं?

पारंपरिक छपाई में सभी उद्धरण चिह्न कर्ली होते थे। परन्तु टाइपराइटर वर्ण सेट यांत्रिक बाधाओं और भौतिक स्थान द्वारा सीमित थे । घुंघराले उद्घाटन और समापन उद्धरणों को उभयलिंगी सीधे उद्धरणों के साथ बदलकर, अन्य पात्रों के लिए दो स्लॉट उपलब्ध हो गए।

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